आशा-किरण
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कपालको पूर्ण शिखा फुकाई
र हातमा शूर्पणखा जगाई।
उठ्तैछ यौटा अब शुद्ध-बुद्ध
यी राष्ट्रघातीजनका विरुद्ध।।
००००००००००००००००
धाई विदेशी घर वा नियोग
लाद्ने स्वदेशीजनमा वियोग।
कुकर्मका घातक तन्त्र-मन्त्र
यो दासता हुन्छ र लोकतन्त्र ?
००००००००००००००००००००
त्यागेर मूर्च्छा अब नेत्र खोली
स्वदेशका खातिर सत्य बोली।
संकल्पले सत्पथ सम्झिंदै छ
हिमाल बोक्ने युग ब्यूझिंदै छ।।
०००००००००००००००
धर्ती चिरी बग्छ सधैँ मुहान
निशाविना हुन्न कतै विहान।
अन्यौलबाटै अब दूरदर्शी
जन्मन्छ लाखौं सुख-स्वप्नदर्शी।।
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कपालको पूर्ण शिखा फुकाई
र हातमा शूर्पणखा जगाई।
उठ्तैछ यौटा अब शुद्ध-बुद्ध
यी राष्ट्रघातीजनका विरुद्ध।।
००००००००००००००००
धाई विदेशी घर वा नियोग
लाद्ने स्वदेशीजनमा वियोग।
कुकर्मका घातक तन्त्र-मन्त्र
यो दासता हुन्छ र लोकतन्त्र ?
००००००००००००००००००००
त्यागेर मूर्च्छा अब नेत्र खोली
स्वदेशका खातिर सत्य बोली।
संकल्पले सत्पथ सम्झिंदै छ
हिमाल बोक्ने युग ब्यूझिंदै छ।।
०००००००००००००००
धर्ती चिरी बग्छ सधैँ मुहान
निशाविना हुन्न कतै विहान।
अन्यौलबाटै अब दूरदर्शी
जन्मन्छ लाखौं सुख-स्वप्नदर्शी।।
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